22nd April, 20225 min read

रात में नींद टूटने पर पुन: सोने के लिए 6 तरीके

मेडिकल समीक्षा के साथ

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यह लेख मूल रूप से अंग्रेजी में लिखा गया था। इस लेख का मूल संस्करण यहां देखा जा सकता है। यह Charlotte Haigh द्वारा लिखा गया है और Dr Adiele Hoffman ने इसकी मेडिकल समीक्षा की है।

रात में कई बार नींद टूट जाती है जो कि आम बात है। वास्तव में, हम लोगों की हर 2 घंटे में 1 से 2 मिनट के लिए नींद टूटती है। हमें इसके टूटने की याद इसलिए नहीं रहती है क्योंकि यह बहुत कम समय के लिए होता है और हमारे दिमाग में ये पल रजिस्टर नहीं हो पाता है।

लेकिन अगर आपकी रात में नींद शोर से टूटती है और इसके बारे में आप पूरी तरह से अवगत रहते हैं कि अब आपको नींद नहीं आएगी तो थोड़ा मुश्किल है। ऐसा जब होता है तो अक्सर हम करवट लेते हैं और फिर से सो जाते हैं। हालांकि, बार-बार करवट लेना भी बहुत उलझन भरा होता है, खासकर तब जब आपको नींद नहीं आती है।

अगर आपको नींद नहीं आ रही है तो क्‍या करें?

अगली बार जब आपकी नींद रात में टूट जाए तो गिनती करने में समय न गवाएं। आप नीचे दी गई कुछ रणनीतियों में से किसी एक को ट्राई कर सकते हैं।

जानिए अगर आप असहज महसूस करते हैं

नींद टूटने पर असहज महसूस होने पर दोबारा नींद आना मुश्किल हो जाता है। लेकिन आपको पूरी तरह से ध्यान देना जरूरी है कि आपके साथ ऐसा क्यूँ होता है और क्यों आप असहज महसूस करते हैं।

नींद टूटने पर अपने शरीर पर थोड़ी देर के लिए ध्यान दें और अपने आपको सहज करें। अगर आपको गर्म या ठंडा लगता है तो अपने बिस्तर को उस हिसाब से बनाएं और कमरे के तापमान को उचित करें। अगर आपको प्यास लगी है तो कुछ पिएं और पेशाब आने पर टॉयलेट होकर आएं।

Stressed during the night

असहज लक्षणों का उपचार कराएँ

दर्द, सांस लेने में समस्या, खुजली या अन्य किसी प्रकार की असहजता जैसी मेडिकल कंडीशन में आपको दोबारा नींद आना मुश्किल हो सकता है। कई प्रकार की मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य स्थितियां जैसे - अवसाद (डिप्रेशन) या तनाव होने पर भी रात में अच्‍छी नींद नहीं आती है।

घड़ी देखना बंद करें

जब रात में आपकी नींद टूटने पर दोबारा नींद आना मुश्किल हो जाता है जो बार-बार घड़ी देखना बंद करें। यह गणित लगाना बंद कर दें कि आपको सोने के लिए कितने घंटे मिलेंगे। यह एक सामान्‍य व्‍यवहार है लेकिन इससे अपनी दिक्‍कत को और गंभीर न बनाएं।

रात में नींद टूटने पर बार-बार घड़ी को देखना आपको ज्यादा चिंता में डाल सकता है जिससे आपको रिलैक्स करने में दिक्कत होगी और नींद कोसों दूर भाग जाएगी। घड़ी या फोन से निकलने वाली नीली या हरी लाइट के एक्सपोजर से भी नींद भाग जाती है जिससे आपको फिर से नींद नहीं आती है।

बेहतर होगा कि रात को नींद टूटने के दौरान समय न देखें और घड़ी को दूसरी तरह घुमा दें या फोन को बंद कर दें।

Clock watching at night

रिलेक्‍स करने की कोशिश करें

इस प्रक्रिया में आप मांसपेशियों को रिलैक्स करने के लिए व्यायाम कर सकते हैं जिससे नींद आने में मदद मिलेगी। इसमें एक बार में कई मांसपेशियों वाले ग्रुप को रिलैक्‍स करना निहित होता है।

इसकी शुरूआत अपने पैरों से करें फिरघड़, फिर भुजा और चेहरे की मांसपेशियों को स्‍ट्रेच करें। हर पांच सेकेंड में अलग-अलग हिस्‍से की मांसपेशियों को स्‍ट्रेच करें।

अगर आपको नींद नहीं आ रही तो उठ जाएं

अगर आपकी नींद टूट जाती है और 20 मिनट तक नींद नहीं आती है तो उठ जाएं और रिलैक्स करने के लिए कुछ करें जो आपको पसंद हो। उदाहरण के लिए - कोई किबतब पढ़ें (लेकिन रोशनी बहुत तेज नहीं होनी चाहिए) या सॉफ्ट म्यूजिक सुनें। इस गतिविधि को तब तक दोहराएं जब तक आपको नींद न आ जाए।

अगर आप फिर से बेड पर जाते हैं और नींद नहीं आती है तो फिर से उठे और उस गतिविधि को दोहराएं। इस प्रक्रिया को नींद आने तक दोहराएं।

Reading book at night

स्‍लीपिंग पैटर्न को बदलने से बचें

हमारा शरीर नींद के एक चक्र को फॉलो करता है जोकि हमारे द्वारा फॉलो किए जाने वाले रूटीन से प्रभावी होता है। इसका अर्थ यह है कि अगर आपका नींद का पैटर्न ठीक है तो एक रात को अच्‍छी नींद न आने पर आपको अगली रात बेहतर नींद आएगी।

एक रात को नींद न आने के बाद आप अगली सुबह देर तक सोने या दिन में सोने को नकारें। ऐसा करना बहुत लुभावना लग सकता है लेकिन इससे लंबे समय रातों को नींद न आना एक समस्‍या बन सकता है।

इन आदतों पर अमल करें

अगली बार जब आपको रात में नींद टूटने पर दोबारा नींद न आए तो इन बातों को ध्यान में रखना। हर कोई अलग होता है इसलिए ऊपर बताई गई हर रणनीति को अपनाकर देखें और इनमें से जो भी आपके लिए उपयुक्त हो, उसको हर बार अपनाएं।

अगर आप जानना चाहते हैं कि आपकी नींद अक्सर क्यों टूटती है तो बिंज स्लीपिंग के बारे में तथ्य और इससे हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है, जानिए।

क्या यह लेख उपयोगी था?

महत्वपूर्ण सूचना: हमारी वेबसाइट उपयोगी जानकारी प्रदान करती है लेकिन ये जानकारी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है। अपने स्वास्थ्य के बारे में कोई निर्णय लेते समय आपको हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।